आमलकी एकादशी
(रंगभरी एकादशी)
फाल्गुन/शुक्ल
शुक्रवार, 03 मार्च, 2023
पारण: अगली सुबह
सूर्योदय से 9:48 के मध्य
सर्वार्थ सिद्धि, सौभाग्य समेत कई शुभ योग में रंगभरी एकादशी!
इस दिन शोभन, सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि जैसे योग बन रहे हैं। रंगभरी एकादशी इकलौती ऐसी एकादशी है, जिसकी पूजा पाठ में आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का भी स्नेह और सानिध्य प्राप्त कर सकते हैं।
जिस तरह से होलाष्टक से होली की शुरुआत हो जाती है, उसी तरह काशी में रंगभरी एकादशी से होली की शुरुआत हो जाती है।
रंगभरी एकादशी का महत्व
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले की भी पूजा की जाती है और भगवान शिव को अबीर गुलाल लगाया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती को काशी में रंगभरी एकादशी पर ही लेकर आते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत लोग रंग और गुलाल उड़ाकर करते हैं और चारों तरफ खुशियां मनाते हैं। इस वजह रंगभरी एकादशी के दिन काशी में रंगों का उत्सव मनाया जाता है और बाबा विश्वनाथ को दूल्हे की तरह सजाया जाता है। साथ ही बाबा विश्वनाथ का माता पार्वती के साथ गौना कराया जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं और चारों तरफ लाल, हरे, पीले गुलाल उड़ाया जाता है।
इस उपाय से अशुभ प्रभाव रहता है दूर
रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना करें और 21 बेलपत्र पर सफेद चंदन लगाकर अर्पित करें। इसके साथ ही गुलाल अबीर भी अर्पित करें और फिर शिव चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से ग्रह नक्षत्र का अशुभ प्रभाव दूर होता है और जीवन में स्थिरता बनी रहती है।
इस उपाय से सौभाग्य में होती है वृद्धि
एकादशी का व्रत करने का कई गुणा फल प्राप्त होता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करें और नौ परिक्रमा करके गुलाल अर्पित करें। इसके साथ आंवले के वृक्ष के नीचे ही विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें और आंवला दान करें। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में तरक्की के योग बनते हैं।
इस उपाय से आर्थिक समस्याएं होती हैं दूर
रंगभरी एकादशी के दिन पीपल पर जल में दूध मिलाकर अर्पित करें और पांच सफेद तरह की मिठाई भी गुलाल के साथ अर्पित करें। फिर धूप-दीप करने के बाद 11 परिक्रमा करें। एकादशी की सायंकाल में पांच देसी घी के दीपक पीपल के नीचे जलाएं। ऐसा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आर्थिक समस्याएं भी दूर रहती हैं।
इस उपाय से माता लक्ष्मी की मिलती है कृपा
रंगभरी एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा अर्चना करें और आंवला अर्पित करें। इसके बाद सामर्थ्यानुसार अन्न, वस्त्र, आंवला आदि का दान करें। फिर सायंकाल के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और उसमें कुछ केसर डाल दें। ऐसा करने से धन संबंधित समस्या दूर होती है और धन के नए मार्ग बनते हैं।_
इस उपाय से अखंड सौभाग्य की होती है प्राप्ति
रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव का कच्चा दूध और गंगाजल अर्पित करने के बाद सफेद चंदन से श्रृंगार करें, फिर बेलपत्र और भांग चढ़ाएं। वहीं माता पार्वती को श्रृंगार का सामान समेत सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती पर अबीर गुलाल अर्पित करें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बाद में श्रृंगार के सामान को जरूरतमंद सुहागिन महिला को जरूर दे दें।
विशुद्ध भक्ति मार्ग पर अग्रसर होते हुए किसी भी फल की कामना से कोई भी एकादशी व्रत नही करना चाहिए। केवल मात्र हमारे इष्ट देव का दिवस है, जानकर उनकी प्रसन्नता प्राप्त करनी है, इसी आनन्द में यह उपवास किया जाना चाहिए। निर्जला नहीं हो पाए तो जल लेकर, फल याँ दूध भी लेकर (उधेश्य मात्र भजन के लिए उत्साह और शरीर का निर्वाह हो सके)। मूल रूप से एकादशी का उधेश्य भजन को बढ़ाना है, खाने पीने पर केंद्रित नही होना है। प्रत्येक एकादशी को कोई नियम लीजिए! जैसे अधिक जप का, कुछ अधिक स्वाध्याय का, श्री धाम सेवन का, संकीर्त्तन का! इत्यादि! जो भी क्रिया हमे हमारे इष्ट के निकट लावै। वह इस दिन अवश्य कीजिये। आनन्द हो जाएगा। एकादशी उपवास अवश्य कीजिये!!
प्रत्येक उत्सव विशेष दिन पूर्व (3/4 दिन पहले) विशेष तिथि की सूचना, महात्म्य एवम कथा की जानकारी सभी रजिस्टर्ड सदस्यों को दी जाती है। यदि आप याँ अपका कोई भी स्नेहीजन इसे प्राप्त करना चाहें, तो कृपया मो# 9855172211 पर whatsapp द्वारा अपना नम्बर निशुल्क रजिस्टर करवा सकता है! कॉल मत कीजिये! केवल whatsapp के माध्यम से मात्र संदेश भेज दीजिये
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