Nidhivan Ke Andar Holi | - ऐरी सखी जुरयौ है रंग समाज,होरी निधिवन आज री
ऐरी सखी जुरयौ है रंग समाज,होरी निधिवन आज री । रंग हो हो हो हो होरी है ।
ऐरी सखी कोकिल कीर चकोर ,निरतत सारस मोर री ।१।
ऐरी सखी झूमत श्याम तमाल ,लपटी नव द्रुमि वाल री ।
ऐरी सखी फूले पुहुप पराग ,अलिकुल छाये बाग री ।२।
ऐरी सखी जमुना जल कल कूल,नलिन कमल रंगे फूल री ।
ऐरी सखि नखसिख सजे सिंगार,सखी सुंदर सुकुमार री ।३।
ऐरी सखि गौर श्याम सुखरासि,मुदित मदन मृदु हासि री ।
ऐरी सखी फाग होरी कौ खेल , राग रंग रस मेल री ।४।
ऐरी सखी झाँझ मुरज ढ़फ बीन ,बाजे बजत नवीन री ।
ऐरी सखी रंग गुलाल अंबीर ,अरगजा रंग मृदु नीर री ।५।
ऐरी सखी ललिता दोउ बुलाये, होरी रंग गहाये री ।
ऐरी सखी जुगल रूप की छाँय, अंग अंग रंग चुचाँय री ।६।
ऐरी सखी सैंनन दै सनकार ,कुशल कटाच्छन मार री ।
एरी सखी बचन रचन रस घोल,मधुर रसीले बोल री ।७।
ऐरी सखी मंद हंसन मुस्कान ,रंगे गहरे चित प्रान री ।
ऐरी सखी घन दामिनी लज जात,श्याम गौर तन गात री ।८।
ऐरी सखी धरत सुगति पग चाल,निरखत होत निहाल री ।
ऐरी सखी मिलन रहे ललचाय ,काम प्रेम सकुचाय री ।९।
ऐरी सखी उमंग्यौ दुहूंनि रस रंग,अंग अंग विवस अनंग री ।
ऐरी सखी अंस अंंस भुज देत,अंकौ भरि भरि लेत री ।१०।
ऐरी सखी खटकेंं वसन सिंगार,लागें सुख के भार री ।
ऐरी सखी सहजहि छोरि उतार , फूलन हू के हार री ।११।
ऐरी सखी मिलत दोऊ न अघाय,नित नव दाब उपाय री ।
ऐरी सखी बाढ्यौ रंग अपार , होरी है नित्य बिहार री ।१२।
ऐरी सखी सेवत श्री हरिदास ,विपुल बिहारिन दास री ।
ऐरी सखी मिल्यौ रस रंग अभंग,कृष्णचंद्र राधा संग री ।१३।
साभार श्री हरिदास कृपा-२
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