हौं तौ आजु नंदलाला सौं, खेलौंगी सखि होरी ।
ललिता बिसाखा अँगना लिपावौ, चौक पुरावौ रोरी ॥
मलयज मृगमद केसरि लै लै, मथि-मथि भरौ कमोरी ।
नव-सत साजि सिँगार करौ सब, भरहु गुलालहिँ झोरी ॥
ज्यौं उडुगन मैं इंदु, सहेलिनि मैं त्यौं राधा गोरी ।
इक गोरी अरु इक साँवरि हो, इक चंचल, इक भोरी ॥
बरजति सखि, बरज्यौ नहिँ मानै, लै पिचकारी दौरी ।
उन रंग लै पिय ऊपर डारयौ, पियहूँ रँग मैं बोरी ॥
इंद्र देव गन गंध्रब बरखें, पुहुप बाटिका खोरी ।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे मिलन कौं, चिरजीवी वर जोरी ॥
भावार्थ
राधा कह रही हैं-हे सखियो, मैं आज नंदलाल से होली खेलूँगी। ललिता और विशाखा, तुम लोग आँगन लिपवा दो और आँगन के लिप जाने पर उसमें रोरी से चौक पुरवा दो। चंदन, कस्तूरी केसर को लेकर उन्हें घिसवा कर एक दूसरे में मथकर पूर्णरूपेण मिला दो और कमोरी में भरवा दो। तुम सभी सोलहों श्रृंगार कर लो और अपनी-अपनी झोलियाँ अबीर गुलाल से भर लो।
जैसे तारों के बीच चंद्रमा है, वैसे ही सभी सहेलियों के बीच में राधा गोरी हैं। कोई गोपी गोरी है, कोई साँवली है, कोई चंचल है, कोई एकदम भोलीभाली है।
सखियाँ रोक रही हैं, पर स्वामिनीजी नहीं माने। श्याम को देखते ही वे पिचकारी भरकर दौड़ पड़े। उन्होंने रंग भरी पिचकारी पिया श्याम पर डाल दी। पिया श्याम ने भी स्वामिनीजी को रंग में सराबोर कर दिया।
इंद्र, देवगण, गंधर्व ऊपर से ब्रज की गलियों में फूल बरसाने लगे। श्रीमदनमोहनलालजी और स्वामिनीजी की यह जोड़ी चिरंजीव हो, जिससे फिर-फिर मिलना होता रहे।
🌹होरी के रसिया की जय हो🌹
🌹राधे राधे जी🌹
ललिता बिसाखा अँगना लिपावौ, चौक पुरावौ रोरी ॥
मलयज मृगमद केसरि लै लै, मथि-मथि भरौ कमोरी ।
नव-सत साजि सिँगार करौ सब, भरहु गुलालहिँ झोरी ॥
ज्यौं उडुगन मैं इंदु, सहेलिनि मैं त्यौं राधा गोरी ।
इक गोरी अरु इक साँवरि हो, इक चंचल, इक भोरी ॥
बरजति सखि, बरज्यौ नहिँ मानै, लै पिचकारी दौरी ।
उन रंग लै पिय ऊपर डारयौ, पियहूँ रँग मैं बोरी ॥
इंद्र देव गन गंध्रब बरखें, पुहुप बाटिका खोरी ।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे मिलन कौं, चिरजीवी वर जोरी ॥
भावार्थ
राधा कह रही हैं-हे सखियो, मैं आज नंदलाल से होली खेलूँगी। ललिता और विशाखा, तुम लोग आँगन लिपवा दो और आँगन के लिप जाने पर उसमें रोरी से चौक पुरवा दो। चंदन, कस्तूरी केसर को लेकर उन्हें घिसवा कर एक दूसरे में मथकर पूर्णरूपेण मिला दो और कमोरी में भरवा दो। तुम सभी सोलहों श्रृंगार कर लो और अपनी-अपनी झोलियाँ अबीर गुलाल से भर लो।
जैसे तारों के बीच चंद्रमा है, वैसे ही सभी सहेलियों के बीच में राधा गोरी हैं। कोई गोपी गोरी है, कोई साँवली है, कोई चंचल है, कोई एकदम भोलीभाली है।
सखियाँ रोक रही हैं, पर स्वामिनीजी नहीं माने। श्याम को देखते ही वे पिचकारी भरकर दौड़ पड़े। उन्होंने रंग भरी पिचकारी पिया श्याम पर डाल दी। पिया श्याम ने भी स्वामिनीजी को रंग में सराबोर कर दिया।
इंद्र, देवगण, गंधर्व ऊपर से ब्रज की गलियों में फूल बरसाने लगे। श्रीमदनमोहनलालजी और स्वामिनीजी की यह जोड़ी चिरंजीव हो, जिससे फिर-फिर मिलना होता रहे।
🌹होरी के रसिया की जय हो🌹
🌹राधे राधे जी🌹
Holi Khelungi Nandlal Mhane Lyade Rang Pichkari Bhajan - मैं आज नंदलाल में होली खेलूंगी
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