श्री गोवर्धनराय लाला प्यारे, तिहारे चंचल नयन विशाला
श्री गोवर्धनराय लाला प्यारे, तिहारे चंचल नयन विशाला ।
तिहारे उर सोहे बन माला, यातें मोहि रही ब्रजबाला ।।
खेलत खेलत तहां गये जहां, पनिहारिन की वाट ।
गागर ढोरें,सीसते,कोउ, भरन न पावे,घाट ।।
नंदराय के लाडिले, ऐसो खेल निवार ।
मनमें आनंद भर रह्यो मुख, जोवत सकल ब्रजनार ।।
अरगजा,कुंकुम,घोरके प्यारी, लीनों कर लपटाय ।
अचकां अचकां आयकें भाजी, गिरधर गाल लगाय ।।
यह विध होरी खेलही, ब्रजवासिन संग लगाय ।
गोवर्धनधर रूप पर ,जन गोविंद बलि बलि जाय ।।
सम्पूर्ण आस्तिक समाज को होलीकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जय गोमाता जय गोपाल
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