होरी खेलूँगी श्याम संग जाय,
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥
फागुन आयो…फागुन आयो…फागुन आयो री
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री
वो भिजवे मेरी सुरंग चुनरिया, मैं भिजवूं वाकी पाग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री
चोवा चंदन और अरगजा, रंग की पडत फुहार ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ।
लाज निगोडी रहे चाहे जावे, मेरो हियडो भर्यो अनुराग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ।
आनंद घन जेसो सुघर स्याम सों, मेरो रहियो भाग सुहाग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ।
स्वर: परम् वैश्नव अंजुना जी
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