जै जै की जै जै !
रसिया ही मतलब कूँ समझें , सुन सुन ब्रज की गारी कौ ।
कोऊ लुगाइन कौ मामा , कोऊ कहै यहां पे दारी कौ ।।
सौ सौ मारें एक गिनें , ऐसौ रंग है हर ब्रजनारी कौ ।
ब्रज में चौतरफा लहरावै , झन्डा बरसाने वारी कौ ।।
।। जय जय श्री राधे ।।
जै जै की जै जै !
रसिया ही मतलब कूँ समझें , सुन सुन ब्रज की गारी कौ ।
कोऊ लुगाइन कौ मामा , कोऊ कहै यहां पे दारी कौ ।।
सौ सौ मारें एक गिनें , ऐसौ रंग है हर ब्रजनारी कौ ।
ब्रज में चौतरफा लहरावै , झन्डा बरसाने वारी कौ ।।
।। जय जय श्री राधे ।।
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