अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं...!!
अब यह भाव ठाकुर जी का है याँ भक्त वृन्द का..!
रसिक ही जानें !संकीर्त्तन का विश्राम पहले होता है
याँ दर्शन द्वार के कपाट पहले बंद होते हैं- सब देख रहे हैं।
अंततः शास्त्र और ग्रन्थ प्रमाण है - ठाकुर जी सदा अपने भक्तों से हारते ही रहे हैं।
जिस मंगला का विश्राम नित्य 5:45 पर होता है,
आज इसी जुगलबंदी में 6:20 पर हुआ।
आनन्द की बात इस होड़ा होड़ी में हम जैसे अकिंचन पामर जीवोँ के सौभाग्य की कोई सीमा ही नहीं। आनन्दम!!!
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