दोउ मगन भये रस होरी में,
दै गलबैयाँ लाल लड़ैती, बँधे प्रेम की डोरी में।।
मृदु मुसकावत चित्त चुरावत ले गुलाल कर झोरी में।
रूप माधुरी रंग बढ्यो है कुँवर किसोर किसोरी में।।
श्री प्रिया लाल होरी के आनन्द में मगन हो रहे हैं। प्रेम की डोरी में बँधे दोनों परस्पर गलबहियाँ डाले मन्द-मन्द मुस्करा रहे हैं और एक-दूसरे के चित्त को चुरा रहे हैं। दोनों ने एक-दूसरे पर डालने के लिए गुलाल निकाल कर हाथों में ले रखा है। आनन्दोल्लास के इन क्षणों में युगल किशोर की रूप -माधुरी का रंग रस वर्धन क्षण क्षण हो रहा है।
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