
जन्मो से खेल रही हूँ जग की होरी, अब खेलु श्याम संग बृजहोरी I
होरी में मोरे संग करे मनमोहन बरजोरी,प्रेम में मैं हो जाऊ अतिबोरी II
सुधबुध मेरी बिसर जाए सब जगत की,निहारु मैं श्यामराधिका गोरी I
'वृंदासखी' छूट जाए सब रंग मेरे,रंगे निज रंग सो मोहे मोहन या होरी II
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