अरे सखी चल वृन्दावन धाम जहां मोहन वेणु बजाये री
अरे सखी चल वृन्दावन धाम जहां मोहन वेणु बजाये री।।
वेणु सुनत ब्रह्मादिक मोहे, वेद पढ़न नहिं पाये री।
वेणु सुनत शिव शंकर मोहे, ध्यान धरण नहिं पाये री।।
वेणु सुनत इन्द्रादिक मोहे, राज्य करण नहिं पाये री।
वेणु सुनत सब सन्तन मोहे, भजन करण नहिं पाये री।।
वेणु सुनत गौ-बछरा मोहे, चारा चरण न पाये री।
वेणु सुनत खग पंछी मोहे, चुगा चुगण नहिं पाये री।।
वेणु सुनत सब गोपी मोहे, काज करत उठि धाये री।
‘चन्द्रसखी’ भज बालकृष्ण छबि, हरि चरणन चित लाये री।।
श्री महा शिव रात्रि
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